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पाकिस्तान ने मानी गलती...क्या सुधरेंगे भारत-पाक सम्बन्ध ??


गुड मॉर्निंग मेरे प्यारे दोस्तों आ गया है आपका दोस्त हिमालय बंजारे लेकर के ताजातरीन सवाल जो कि बने हैं कल रात तक की सुर्खियों से 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हाल ही में अपनी पार्टी मीटिंग में एक बात बोली वो बात इतनी वायरल हुई कि इससे यह लगने लगा कि पाकिस्तान कहीं ना कहीं अब इस सेल्फ गिल्ट में जी रहा है कि जो भी गलतियां की हैं वह हमने ही की है ऐसा क्यों है ?

असल मायने में क्या हुआ है कि नवाज शरीफ ने हाल ही में ये एडमिट किया अपनी पब्लिक मीटिंग में कि जो 1999 में जब अटल जी बस लेकर के लाहौर आए थे और लाहौर डिक्लेरेशन हुआ था हमने उसका वायलेशन किया था यानी कि भारत जो हमेशा दुनिया को यह कहता आया है कि पाकिस्तान हमेशा बॉर्डर पर इफिल्टर करता है जबरन पाकिस्तान के द्वारा भारत के साथ युद्ध करने का प्रयास किया जाता है इसको इन्होंने एक्सेप्ट किया और कहा कि हमने अटल जी की उस बात को उस समय नहीं माना था. 

आपको याद होगा यह वही दौर है जब अटल जी बस लेकर के फरवरी के अंदर तो गए थे पाकिस्तान और पाकिस्तान ने रिटर्न गिफ्ट में दो ही महीने के अंदर कारगिल युद्ध दे दिया था यह वही घटना है जिसको कि यह एक्सेप्ट कर रहे हैं और कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने वायलेट किया था.

लाहौर एग्रीमेंट 1999 में नवाज शरीफ तत्कालीन प्रधानमंत्री हुआ करते थे तो यह क्या है लाहौर डिक्लेरेशन जो अचानक सुर्खियों में है इसकी चर्चा करते हैं और इसके साथ-साथ इस बात के मायने समझने का प्रयास करते हैं साथियों यह एक बहुत ही यादगार तस्वीर है जिसे आप इस समय देख रहे हैं यह तस्वीर है स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी और नवाज शरीफ जी के बीच में यह दोनों प्रधानमंत्री दोनों अलग-अलग देशों से लाहौर में इकट्ठे हुए नवाज शरीफ के देश में प्रधानमंत्री अटल जी पहुंचे थे क्यों पहुंचे थे क्योंकि उस साल से एक साल पहले 1998 में दोनों ही देशों ने परमाणु बम का परीक्षण किया था दो पड़ोसी देशों के परमाणु ताकत ब जाने से पूरी दुनिया डर में चली गई थी पाकिस्तान और भारत अपने परमाणु पोखरण जैसे भारत ने पोखरण में किया पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र में किया दोनों ने परमाणु बमों का जब परीक्षण किया तो पूरी दुनिया में यह टेंशन होने लगी कि एक दिन यह दोनों परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र आपस में भिड़ जाएंगे. 

दोनों को यूनाइटेड नेशंस के अंदर बुलाया गया बुला कर के सैंक्शंस लगाए गए सैंक्शंस तो परमाणु परीक्षण के साथ ही लगा दिए गए थे लेकिन सैंक्शन से कुछ होने वाला नहीं था बुलाकर यूएन में समझाया गया कि आप लोग एक दूसरे के साथ पीस एग्रीमेंट करिए आपस में बैठिए बातचीत करिए अगर बहुत ज्यादा हीटेड माहौल चला तो दुनिया परमाणु युद्ध की तरफ बढ़ जाएगी इसी का घटनाक्रम था यानी 1998 के बाद 1999 में जो घटनाक्रम हुआ.

आज के ब्‍लॉग में हम उसी की चर्चा आपके साथ करने वाले हैं हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री जो नवाज शरीफ हैं उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग जो नवाज वाली पीटी पार्टी है उसके अंदर अपनी इस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि शरीफ और वाजपेई जी के बीच में जो 21 फरवरी को लाहौर डिक्लेरेशन साइन हुआ था पाकिस्तान ने कुछ ही दिनों बाद जम्मू कश्मीर पर जो कारगिल पर चढ़ाई की थी वो उनकी गलती थी.

ये लोगों को याद दिला रहे हैं कि वाजपेई साहब तशरीफ लाए और हम यदा कि ये अलग बात है हमने खिलाफी की उन्होंने वायदा किया और हमने वायदे की खिलाफी की उसमें हम कसूरवार हैं. देखिए फिलहाल तो नवाज शरीफ अपनी पार्टी के प्रेसिडेंट हैं इनके छोटे भाई जो हैं वो वर्तमान में पीएम हैं नवाज शरीफ जो याद दिला रहे हैं अपनी पॉलिटिकल पार्टी के लीडर्स को कि मेरे दौर में जब मैं पीएम हुआ करता था तब अटल जी लाहौर डिक्लेरेशन लेकर आए थे अटल जी आकर के जब तशरीफ लेकर आए और उन्होंने हमारे साथ में समझौता किया हम लोगों ने मिलकर टेबल टॉक किया कि अब आगे से हम एक दूसरे के प्रति शांति रखेंगे और उसके मात्र दो महीने बाद ही जो हमसे हुआ वह गलती थी.

गलती क्या थी कि इन्होंने परवेज मुशर्रफ इनके वहां पर सेना के जनरल हुआ करते थे उनके कहने पर यह मानकर कि इंडिया भारत जो है ना अब तो ये शांति का हाथ बढ़ा चुका है यह तो कुछ कहेगा नहीं अब क्यों ना इसको गलतफहमी में जीते रहने दें और हम लोग कारगिल पर चढ़ाई कर दें कश्मीर के अंदर एंट्री करने का अच्छा तरीका है और पीछे से इन्होंने कारगिल पर चढ़ाई कर दी कारगिल पर चढ़ाई करी गुप्त तरीके से अपनी सेनाओं को कारगिल की चोटियों पर भेज दिया जब भारत को इस बात का पता चला तो मई 1999 में भारत ने कारगिल विजय के लिए युद्ध की शुरुआत कर दी भारत और पाकिस्तान की फोर्सेस आमने-सामने रही और भारत ने अंततोगत्वा पाकिस्तान को हराकर अपने क्षेत्र को वापस से मुक्त करा लिया लेकिन इस दौर में मतलब भारत और पाकिस्तान के बीच में जो यह युद्ध हुआ था इससे भारत और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट बहुत ज्यादा बढ़ गई यानी कि इनके द्वारा पीठ में छुरा घूप पब्लिक हो गया था ये बिल्कुल हरकत वैसी ही थी जैसे मतलब इन्होंने ऐसा क्यों किया इसके पीछे की भी अगर साइकोलॉजी पढ़ी जाए तो साइकोलॉजी जाती है 1962 के वॉर में जब चाइना ने भारत के साथ ऐसा किया था नेहरू जी चाइना के साथ हिंदी चीनी भाई भाई कह रहे थे और पंचशील समझौता करके बैठे थे कि हम लोग आपस में एक दूसरे के साथ म्यूचुअल रेस्पेक्ट के साथ रहेंगे एक दूसरे के ऊपर कोई हमला नहीं करेगा. दोनों किसी के मामले पर कुछ नहीं बोलेंगे लेकिन चाइना ने एक तरफ भारत को विश्वास दिलाकर हमें यह मुक्त कर दिया था कि चिंता मत करो यह बॉर्डर सुरक्षित है यहां पर कोई हमला नहीं होगा और दूसरी तरफ से हम पर हमला कर दिया जब हम प्रिपेयर नहीं थे उसी दौरान हम पर हमला हो गया था पाकिस्तान ने भी सोचा कि इंडिया वाले अब बड़े खुश हैं कि पाकिस्तान और इंडिया एग्रीमेंट कर चुके हैं तो चलो अब इनके ऊपर हमला कर देते हैं ये थॉट तो सेम थी लेकिन इंडिया इस बार पूरी तरह ट्रेंड था.

हुआ क्या था इस घटना को अब थोड़ा डिटेल में जानते हैं देखिए एक बात है उस दौर की जब बिल क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति हुआ करते थे भारत और पाकिस्तान अपने-अपने परमाणु परीक्षणों में बिजी थे पाकिस्तान को रोकने के लिए अमेरिका ने 5 अरब डॉलर तक देने का प्रस्ताव रखा था ऐसा खुद नवाज शरीफ ने कहा है कि उन्होंने कहा था कि अगर तुम परमाणु परीक्षण नहीं करोगे तो मैं तुम धन दूंगा तुम परमाणु परीक्षण मत करो लेकिन पाकिस्तान नहीं माना क्योंकि भारत परमाणु परीक्षण कर चुका था 1998 में जब दोनों देश अपने परमाणु परीक्षण कर चुके थे तब प्रतिबंधों का दौर चल रहा था भारत और पाकिस्तान पर दुनिया भर के देश प्रतिबंध लगा रहे थे आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे थे ऐसी स्थिति में सितंबर 1998 में भारत और पाकिस्तान को यूनाइटेड नेशंस की जनरल असेंबली में बुलाया गया दोनों प्रधानमंत्री जब शिरकत करने पहुंचे तब इनसे कहा गया कि अब आप लोग एक दूसरे से ग्रीवांसेज बटाइए और शांति की बातचीत करिए न्यूयॉर्क में जब यह बातचीत हुई इस बातचीत के बीतने के बाद में यह काफी दिन तक एग्जीक्यूट नहीं हुई पहले तो यह माना गया कि दोनों देश एक दूसरे के साथ यहां से जाते ही हाथ मिला लेंगे लेकिन अटल जी भारत आ गए वह पाकिस्तान चले गए दोनों के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई दो महीने तक जब किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं हुई तो ऐसी स्थिति में नवाज शरीफ जी की तरफ से प्रधानमंत्री अटल जी के पास कॉल आया तो उसमें यह कहा गया कि साहब आपने कहा था कि आप मतलब बस सेवा शुरू करेंगे दोनों देश एक दूसरे के साथ मिलकर के बातचीत करेंगे अभी तक आपने कुछ किया क्यों नहीं अटल जी ने कहा कि मैं किन्ही कारणों से व्यस्त था विचार करते हैं मैं अपने डिप्लोमेट्स के साथ अपने राजनयिकों के साथ बातचीत करता हूं अटल जी और इनके बीच में बातचीत चलती रही इस बातचीत में तय हुआ कि अगले वर्ष यानी कि 1999 में फरवरी माह के अंदर अमृतसर से झंडी दिखाकर लाहौर के लिए बस को रवाना किया जाएगा अमृतसर लाहौर मात्र अमृतसर से लाहौर के बीच की दूरी लगभग 40 किलोमीटर के अराउंड बताई जाती है बोले इतनी सी दूरी को हम लोग यहां से बस कनेक्ट कर देंगे जो लोग आना चाहना चाहेंगे वोह प्रॉपर तरीके से आएंगे तय हुआ कि अटल जी अच्छा उसी दौरान कोइंसिडेंटली यह था कि अटल जी को अमृतसर किसी काम से जाना था किसी मतलब पार्टी के काम से जाना था तो उन्होंने तय किया कि जब बस रवाना होगी तब मैं उसको झंडे दिखाकर रवाना करूंगा इस पर बताते हैं कि नवाज शरीफ का कॉल अटल जी के पास आया और कहा कि कि सर पता चला है कि आप अमृतसर आ रहे हैं आप यहां तक आएंगे तो कुछ दूर और आइएगा इस पर एक बहुत अच्छा डायलॉग है जो उन्होंने कहा एक शब्द है मैं आपको बताऊंगा जिसमें उन्होंने दर तक आ रहे हो घर नहीं आओगे क्या मतलब लाहौर के लिए उन्होंने कहा कि आप अमृतसर तक तो आ ही रहे हो दर तक तो आ ही रहे हो यानी कि यहीं तक बॉर्डर तक तो आप आ ही गए हैं तो घर नहीं आओगे क्या तो अटल जी ने यहां पर अपनी टीम से फिर डिस्कशन किया कि भाई ऐसा हो रहा है कि वो यह दिखाना चाहते हैं कौन दिखाना चाहते हैं. 

पाकिस्तानी लोग ये दिखाना चाहते हैं कि हमने शांति के लिए पहले हाथ बढ़ाया हमने इंडिया को इनवाइट किया पर अटल जी ने उस समय रिप्लाई नहीं किया और अपने साथी डिप्लोमेट्स से पूछा कि बताइए इस पर क्या राय है तो फिर डिसाइड हुआ कि क्यों ना एक ऐसी बस सेवा जाए जिसमें भारत की तरफ से सारे टॉप डिप्लोमेट्स बड़ी हस्तियां बैठ कर के पाकिस्तान की यात्रा पर जाएं ऐसा ही हुआ भारत से पाकिस्तान की तरफ जो बस गई उस बस के अंदर भारत के बड़े क्रिकेटर्स यह सब लोग बैठ कर के पाकिस्तान जाने के लिए तय हुए जैसे देवानंद कपिल देव कुलदीप नैयर जावेद अखतर सतीश गुजराल शत्रुघन सिन्हा मल्ली का सारा भाई यह सब प्रॉपर तरीके से भारत से पाकिस्तान गए 19 फरवरी को अमृतसर से रवाना होकर 40 मिनट में बस लाहौर पहुंची.

वादे के अनुसार नवाज शरीफ खुद वाजपेई जी को रिसीव करने के लिए बस पर आए फिर यहां पहुंच कर के प्रधानमंत्री को आसपास के क्षेत्र घुमाए गए जिसमें मीनार पाकिस्तान अल्लामा इकबाल की मजार गुरुद्वारा डेरा साहिब और महाराज रणजीत सिंह की समाधि थी लेकिन इनमें से भी जो मीनार ए पाकिस्तान नामक जो जगह है इस पर जाने पर काफी ज्यादा विरोध हुआ था अटल जी का कारण क्या था 1940 में यह वही जगह थी जहां पर फजल हक ने मोहम्मद अली जिन्ना की उपस्थिति में पाकिस्तान का प्रस्ताव पेश किया था तो बोले यहां पर नहीं जाना चाहिए था ऐसा फिर पॉलिटिकल क्रिटिसिजम इंडिया में भी हुआ था खैर एनी-वे दोनों का प्रयास था कि शांति स्थापित हो दोनों पड़ोसी मुल्क एक दूसरे के साथ प्यार मोहब्बत से रह यह यात्रा हुई भारत पाकिस्तान के बीच में जब प्रधानमंत्री यहां पहुंचे नवाज शरीफ उन्हें खुद रिसीव करने आए दोनों देशों ने काफी मतलब एक दूसरे के साथ गर्म जोशी से एक दूसरे का स्वागत किया लेकिन पाकिस्तान के अंदर बहुत सी ऐसी ताकतें उस समय भी थी जो कि नवाज शरीफ को भी काउंटर करना चाहती थी जिसमें सेना का बड़ा रोल था यह वही परवेज मुशर्रफ थे जिन्होंने बाद में सरकार गिराकर खुद ने सैनिक तख्ता पलट किया और सरकार पर राज किया था तो नवाज शरीफ के दौर में सेना के प्रमुख हुआ करते थे परवेज मुशर्रफ उन्हें लगा कि अगर यह दोनों देश हाथ मिला लिए तो फिर सेना को मिलने वाले फंड का क्या होगा और यह बहुत बार बात पता चली है बहुत बार मतलब ये सुर्खियां बनी है बहुत सी फिल्मों में इसे दिखाया गया है कि पाकिस्तान के अंदर जो राजनीतिक दल हैं वो कुछ भी करना चाहे लेकिन आर्मी अपने तरीके से युद्ध को चलाए रखना चाहती है क्योंकि उनकी आर्मी को चाहिए कि उन्हें फंड मिलते रहे और फंड केवल युद्ध के काल में मिल सकते हैं शांति के काल में मिल नहीं सकते ऐसी स्थिति में जब ये दोनों देश आपस में हाथ मिला रहे थे परवेज मुशर्रफ ने सेना को कारगिल चढ़ाई का आदेश दे दिया था कि तुम जाओ और कारगिल पर चढ़ जाओ.

इंडिया और नवाज शरीफ के बीच के जो रिश्ते हैं ये स्वतः ही खराब हो जाएंगे इसी प्रयास को किया गया था हालांकि इससे पहले जो चल रहा था वो जान लीजिए तो प्रधानमंत्री यहां पर प्रॉपर तरीके से पहुंचे यहां पर पहुंचकर दोनों ने कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स यानी एक दूसरे पर कैसे विश्वास को बढ़ाया जाए इसका मसौदा तैयार किया दोनों एक दूसरे के साथ बैठ कर के लाहौर डिक्लेरेशन की तैयारी करने लगे लाहौर डिक्लेरेशन में प्रधानमंत्री ने लाहौर के गवर्नर हाउस में एक पार्टी रखी और वहां पर दोनों देशों के बीच में एक लाहौर डिक्लेरेशन हुआ जैसे यूएन इस प्रकार से प्रोजेक्ट भी करता है लाहौर डिक्लेरेशन डॉक्यूमेंट रिट्रीव ये 21 फरवरी 1999 का है यूएन ने भी इसे पीसमेकर के रूप में कंसीडर किया कि हां भाई दोनों देश एक दूसरे के साथ में शांति के लिए आगे बढ़े हैं अब यह झगड़ नहीं शांति से सहसंबंध स्थापित करेंगे.

आज जो नवाज शरीफ बोल रहे हैं कि हमसे गलती हुई वह इसी बात की गलती बोल रहे हैं कि यह लाहौर डिक्लेरेशन हो गया था कि दोनों देश साथ रहेंगे हम अगर उस समय साथ रह जाते तो आज भारत और पाकिस्तान कहीं और होते यानी कि कोई और तरक्की होती संभवतः में है और आगे चलकर सरकार को कैसे आगे बढ़ाते हैं भारत के प्रति उनका रवैया कैसा होता है इन्हीं के काल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी पाकिस्तान जा चुके हैं तो ऐसी स्थिति में इनकी पार्टी को यह माना जाता है कि यह संभवतः प्रयास करेगी कि भारत पाकिस्तान के संबंध नॉर्मल हो लेकिन इनके यहां के जो और लोग हैं जिनके हित इस बात पर टिके हैं कि भारत पाकिस्तान के रिश्ते खराब रहे वह अपने आप में कभी भी शांति नहीं चाहेंगे ठीक है पाकिस्तान की सेना उसमें से एक बहुत बड़ा रोल प्ले करती है हालांकि भारत ने पाकिस्तान की सेना को कारगिल के अंदर धूल चटाई कारगिल को वापस से आजाद कराया और भारत पूरी तरह से कारगिल पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहा इसके ऊपर फिल्में भी है जिनको आप चाहे तो आप देख सकते हैं.

नवाज शरीफ का यह कहना इमरान खान पर व्यंग कसने के समान था कि इमरान खान अगर रहे होते उस दौर में तो परमाणु परीक्षण भी नहीं करते.


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