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भारतीय राजनीति और समाज के ज्वलंत मुद्दे: एक विश्लेषण



भारतीय राजनीति और समाज के ज्वलंत मुद्दे: एक विश्लेषण

भारतीय राजनीति और समाज में इन दिनों कई ऐसे मुद्दे चर्चा में हैं, जो न केवल देश के भविष्य को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि आम जनता के जीवन को भी सीधे तौर पर प्रभावित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं से लेकर देश के आर्थिक हालात, शिक्षा व्यवस्था, और सामाजिक सद्भाव तक, हर मुद्दे पर गहन बहस हो रही है। आइए, इन मुद्दों पर एक नजर डालते हैं।  

नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा और अमेरिका के साथ संबंध  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। विशेष रूप से, अमेरिका के साथ उनके संबंधों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी दोस्ती के बावजूद, अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाने और कुछ भारतीयों को हथकड़ी लगाकर वापस भेजने जैसे कदम उठाए हैं। यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत की विदेश नीति वाकई में सफल हो रही है या नहीं।

आर्थिक मंदी और रुपए की स्थिति

देश की आर्थिक स्थिति भी चिंता का विषय बनी हुई है। वैश्विक मंदी के संकेतों के बीच, भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है। रुपया डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह स्थिति न केवल निवेशकों के लिए चिंताजनक है, बल्कि आम आदमी की जेब पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है।  

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन और प्रधानमंत्री की भूमिका  

मणिपुर में हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री मोदी अब तक मणिपुर क्यों नहीं गए? यह सवाल न केवल विपक्ष उठा रहा है, बल्कि आम जनता भी जानना चाहती है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठा रही है।  

सामाजिक सद्भाव और धार्मिक विवाद  

देश में सामाजिक सद्भाव को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। बागेश्वर धाम के बाबा ने बिहार चुनाव से पहले एक विवादित बयान दिया कि अगर भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा, तो बिहार पहला हिंदू प्रदेश होगा। इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बहस छेड़ दी है।  

इसके अलावा, होली और नमाज को लेकर भी विवाद खड़ा किया जा रहा है। टीवी डिबेट्स से लेकर सोशल मीडिया तक, यह बहस जारी है कि क्या हिंदू अब होली नहीं मना पाएंगे? यह सवाल उठ रहा है कि क्या धार्मिक त्योहारों को राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है?  

शिक्षा और रोजगार के मुद्दे  

शिक्षा और रोजगार के मुद्दे भी संसद में उठाए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने एनएफएस (नॉन-फॉर्म सूटेबल) के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।  

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने शिक्षा बजट में कटौती और पेपर लीक जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावा कर रही है, जबकि हकीकत में शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही है।  

पुरानी पेंशन योजना की मांग  

पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर भी संसद में बहस हुई। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने मांग की कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए।  

निष्कर्ष  

भारत में इन दिनों कई ऐसे मुद्दे हैं, जो देश के भविष्य को प्रभावित कर रहे हैं। चाहे वह आर्थिक मंदी हो, शिक्षा व्यवस्था हो, या सामाजिक सद्भाव का सवाल हो, हर मुद्दे पर गहन चर्चा की जरूरत है। यह जरूरी है कि सरकार और विपक्ष दोनों मिलकर इन मुद्दों का समाधान निकालें, ताकि देश का विकास सही दिशा में हो सके।  

अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि नफरत और विभाजन की राजनीति से ऊपर उठकर, हमें एकता और सद्भाव के साथ आगे बढ़ना होगा। केवल तभी हम एक समृद्ध और खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं।

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