मध्य प्रदेश के सतना में ढाई साल की मासूम के साथ रेप : समाज और सरकार से सवाल
20 मार्च 2025 को मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक ऐसी घटना घटी, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। ढाई साल की एक मासूम बच्ची को हवस का शिकार बनाया गया। यह वारदात इतनी भयावह थी कि सुनने वाले की रूह कांप उठे। आरोपी, 27 साल का आकाश, न सिर्फ इस बच्ची का पड़ोसी था, बल्कि खुद एक बच्चे का पिता भी है। उसने खेलने के बहाने मासूम को अपने घर बुलाया और फिर इस घिनौने अपराध को अंजाम दिया। बच्ची के साथ न सिर्फ बलात्कार किया गया, बल्कि उसके गुप्तांग में डंडा डालने की कोशिश जैसी क्रूरता भी की गई। खून से लथपथ हालत में बच्ची को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं, उसकी मां इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पा रही और बार-बार बेहोश हो रही है।
क्या है असल सवाल?
इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। एक ढाई साल की बच्ची में उस दरिंदे को क्या दिखा होगा? क्या उसने कुछ ऐसा पहना था, जो उसे "लुभावना" बनाता हो? क्या उसकी उम्र ऐसी थी, जो हवस को भड़काए? या फिर यह सब उसकी मानसिकता का नतीजा था? समाज में अक्सर बलात्कार के लिए पीड़िता के पहनावे, उम्र या व्यवहार को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन इस मासूम बच्ची ने आखिर क्या गलत किया था? यह सवाल हर उस शख्स से है, जो ऐसी घटनाओं को जायज ठहराने की कोशिश करता है।
परिवार और समाज का दर्द
जब बच्ची के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनाई दी, तो परिवार और पड़ोसी दौड़े-भागे आए। बच्ची को खून से लथपथ देखकर उनके होश उड़ गए। यह घटना तब हुई, जब वह बाहर आरोपी के बेटे के साथ खेल रही थी। आरोपी ने पहले से ही इस घृणित योजना को अपने दिमाग में तैयार कर लिया था। घटना के बाद पड़ोसियों ने पीड़ित परिवार का साथ दिया और सख्त कार्रवाई की मांग की। कई लोगों का कहना है कि ऐसे दरिंदे को फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए। वहीं, बच्ची की मां की मानसिक हालत इतनी खराब हो गई है कि वह कुछ समझ ही नहीं पा रही। परिवार इतना डर गया था कि पहले तो उन्होंने पुलिस में शिकायत तक दर्ज नहीं की। लेकिन पड़ोसियों के हौसले ने उन्हें हिम्मत दी, और 21 मार्च को मामला दर्ज हुआ। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी के परिवार का पक्ष
आरोपी का परिवार भी उसी बिल्डिंग में रहता है। उसकी मां का कहना है कि बेटे ने जो गुनाह किया, उसकी सजा उसे मिले, लेकिन पूरे परिवार को इसके लिए दंडित न किया जाए। दूसरी ओर, कॉलोनी के लोग मांग कर रहे हैं कि आरोपी का फ्लैट खाली कराया जाए और उसके पूरे परिवार को सोसाइटी से निकाल दिया जाए। यह एक बड़ा सवाल है- क्या एक अपराधी की सजा पूरे परिवार को भुगतनी चाहिए?
सरकार और प्रशासन पर सवाल
इस मामले ने मध्य प्रदेश सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस की महिला विंग ने भोपाल में विरोध प्रदर्शन किया और बीजेपी शासित राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए। उनका आरोप है कि मध्य प्रदेश में लड़कियां और महिलाएं बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव, जो गृह विभाग भी संभालते हैं, इस मामले पर अब तक चुप हैं। न उनका कोई बयान आया, न ही कोई ट्वीट। क्या इतनी बड़ी घटना के बाद भी सरकार का मौन रहना जायज है?
आंकड़े भी चिंताजनक हैं। 2020 में मध्य प्रदेश में 6,134 बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे, जो 2024 में बढ़कर 7,294 तक पहुंच गए। यानी पिछले 5 सालों में 19% की बढ़ोतरी। औसतन हर दिन 20 रेप के मामले दर्ज हो रहे हैं। यह स्थिति बताती है कि राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है।
कानूनी कार्रवाई
आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 65(2) (बलात्कार) और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ कानूनी कार्रवाई काफी है? हाल ही में भोपाल के शाहजहानाबाद में 5 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या के मामले में दोषी को फांसी की सजा मिली। लेकिन क्या एक-दो मामलों में सजा देने से यह समस्या खत्म हो जाएगी?
असल कारण क्या है?
रेप जैसी घटनाओं के पीछे पहनावा, उम्र या मानसिकता में से क्या जिम्मेदार है? ढाई साल की बच्ची के साथ हुई इस वारदात ने साबित कर दिया कि न तो पहनावा और न ही उम्र इसका कारण है। यह सब कुछ दरिंदों की बीमार मानसिकता का नतीजा है। समाज में ऐसी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। इसके लिए शिक्षा, जागरूकता और सख्त कानूनों का जमीनी स्तर पर लागू होना जरूरी है।
आगे क्या?
मध्य प्रदेश सरकार से अपील है कि केवल कागजी घोषणाओं से काम नहीं चलेगा। हर दिन 20 रेप के मामले दर्ज होना कोई सामान्य बात नहीं है। जरूरत है सख्त और त्वरित कार्रवाई की, ताकि बेटियां सुरक्षित रह सकें। समाज को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। यह सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज पर एक धब्बा है।
आज जरूरत है जवाब की। सरकार जवाब दे, प्रशासन जवाब दे, और हम सब जवाब दें- आखिर कब तक मासूमों को इस तरह की दरिंदगी का शिकार बनना पड़ेगा?
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