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डंकी रूट की सच्चाई: सपनों के पीछे मलकीत और रणदीप की मौत जैसे हजारों भारतीयों के मौत का खतरनाक सफर



डंकी रूट की सच्चाई: सपनों के पीछे मलकीत और रणदीप की मौत जैसे हजारों भारतीयों के मौत का खतरनाक सफर


आज हम बात करेंगे एक ऐसे रास्ते की, जिसे दुनिया का सबसे खतरनाक रास्ता माना जाता है—डंकी रूट। यह वह रास्ता है, जिसके जरिए लाखों भारतीय अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों में अवैध रूप से पहुंचने का सपना देखते हैं। लेकिन इस सपने की कीमत क्या है? लाखों रुपये, खेत-जमीन बिकवाने का दर्द, और कई बार तो अपनी जान तक गंवानी पड़ती है। आइए, इस रूट की पूरी कहानी को समझते हैं और जानते हैं कि आखिर क्यों इतने लोग अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर इस खतरनाक सफर पर निकल पड़ते हैं।


 डंकी रूट क्या है?

डंकी रूट एक ऐसा अवैध रास्ता है, जो नदियों, पहाड़ों, जंगलों और रेगिस्तानों से होकर गुजरता है। यह रास्ता भारत से शुरू होकर लैटिन अमेरिकी देशों, मध्य अमेरिका और फिर मेक्सिको तक जाता है, जहां से लोग अमेरिकी बॉर्डर पार करने की कोशिश करते हैं। इस सफर में इंडियन ट्रैवल एजेंट्स और विदेशी डोंकर्स (स्थानीय तस्कर) मिलकर काम करते हैं। ये डोंकर्स वही लोग हैं, जो ड्रग ट्रैफिकिंग और स्मगलिंग जैसे अपराधों में लिप्त होते हैं और अपने देशों के छिपे हुए रास्तों से वाकिफ होते हैं।


भारत में हरियाणा, पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में सैकड़ों ट्रैवल एजेंट्स की दुकानें खुल चुकी हैं, जो भोले-भाले लोगों को विदेश पहुंचाने का झांसा देते हैं। इन एजेंट्स की फीस औसतन 40-45 लाख रुपये तक होती है, जिसे जुटाने के लिए लोग अपनी जमीनें बेचते हैं, कर्ज लेते हैं, और अपने परिवार को कंगाल कर देते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि ज्यादातर लोग न तो अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं और न ही उनके सपने पूरे होते हैं।


मलकीत और रणदीप की दर्दनाक कहानी

हरियाणा के कैथल जिले के मलकीत सिंह ने 16 फरवरी 2023 को अमेरिका जाने का सपना देखा। बिना वीजा के वह डंकी रूट पर निकल पड़ा। 7 मार्च को उसने घर वालों को बताया कि वह सल्वाडोर पहुंच गया है और ग्वाटेमाला के जंगलों से पैदल आगे बढ़ रहा है। लेकिन इसके बाद उसका संपर्क टूट गया। 23 दिन बाद एक वीडियो वायरल हुई, जिसमें मलकीत की लाश दिखी। उसे विदेशी एजेंट ने गोली मार दी थी, क्योंकि इंडियन एजेंट ने पैसे नहीं पहुंचाए थे। मलकीत के परिवार ने 40 लाख रुपये में से 25 लाख एडवांस दिए थे, लेकिन मलकीत न अमेरिका पहुंच सका और न जिंदा घर लौटा। उसकी डेड बॉडी को लाने में भी 19 लाख रुपये और 3 महीने लग गए।


इसी तरह पंजाब के रणदीप सिंह 11 अप्रैल 2024 को डंकी रूट पर निकले। छह महीने तक एक देश से दूसरे देश भटकते हुए वह वियतनाम और फिर कंबोडिया पहुंचे। वहां उनकी टांग में चोट लगी, इलाज न मिलने से टेटनस बढ़ा और उनकी मौत हो गई। रणदीप के परिवार ने भी 42 लाख में से 25 लाख रुपये एडवांस दिए थे। ये दो कहानियां उन सैकड़ों लोगों की हैं, जो इस रास्ते पर अपनी जान गंवा बैठते हैं।


डंकी रूट की प्रक्रिया

डंकी रूट कोई तय रास्ता नहीं है। इसका मकसद किसी भी तरह मेक्सिको पहुंचना होता है, जहां से अमेरिकी बॉर्डर पार किया जा सके। यह सफर इस तरह शुरू होता है:


1. पहला कदम: लैटिन अमेरिका तक पहुंचना

   इंडियन एजेंट्स पहले लोगों को लैटिन अमेरिकी देशों जैसे इक्वाडोर, बोलीविया, गुयाना या ब्राजील में पहुंचाते हैं। इन देशों में वीजा आसानी से मिल जाता है। कई बार दुबई जैसे देशों से होकर भी इन्हें भेजा जाता है।


2. कोलंबिया और डेरियन गैप

   लैटिन अमेरिका से बसों और कारों के जरिए कोलंबिया पहुंचाया जाता है। इसके बाद शुरू होता है डेरियन गैप—कोलंबिया और पनामा के बीच का 160 किलोमीटर लंबा घना जंगल। यह क्षेत्र दलदल, जंगली जानवरों, नदियों और क्रिमिनल गैंग्स से भरा है। इसे पार करने में 10-20 दिन लगते हैं। रास्ते में लोग भूखे-प्यासे रहते हैं, बीमार पड़ते हैं, और कई बार मारे जाते हैं।


3. मेक्सिको तक का सफर

   डेरियन गैप पार करने के बाद पनामा, कोस्टारिका, निकारागुआ, होंडुरास और ग्वाटेमाला जैसे देशों से होकर मेक्सिको पहुंचते हैं। इस दौरान पुलिस पकड़ लेती है, डोंकर्स टॉर्चर करते हैं, और कई लोग रास्ते में मर जाते हैं।


4. अमेरिका में प्रवेश और डिपोर्टेशन 

   मेक्सिको से अमेरिकी बॉर्डर पार करना सबसे बड़ा चैलेंज होता है। अगर कोई पार भी कर लेता है, तो अमेरिकी पुलिस कुछ ही मिनटों में पकड़ लेती है। ज्यादातर लोग खुद सरेंडर कर देते हैं ताकि शरण (असाइलम) मांग सकें। लेकिन ट्रंप सरकार के सख्त नियमों के बाद अब ज्यादातर को डिपोर्ट कर दिया जाता है।


रवि की कहानी: 19 देशों का दर्दनाक सफर

हरियाणा के जिंद जिले के रवि ने 10 जुलाई 2024 को अमेरिका जाने का सफर शुरू किया। उसे 19 देशों से गुजरना पड़ा—दुबई, गिनी, मोरक्को, एम्स्टर्डम, सूरीनाम, गुयाना, ब्राजील, बोलीविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया, पनामा, कोस्टारिका, निकारागुआ, होंडुरास, ग्वाटेमाला, और मेक्सिको। इस दौरान उसे भूख-प्यास, टॉर्चर, और डेरियन गैप जैसे खतरों का सामना करना पड़ा। अमेरिका पहुंचने पर 5 मिनट बाद ही उसे पकड़ लिया गया। 21 दिन जेल में टॉर्चर झेलने के बाद 13 जनवरी 2025 को उसे भारत डिपोर्ट कर दिया गया। रवि के परिवार पर 35 लाख का कर्ज चढ़ गया, प्लॉट बिक गया, और हाथ कुछ नहीं लगा।


डंकी रूट के खतरे

मौत का जोखिम: 2024 में अकेले डेरियन गैप में 55 लोगों की मौत हुई। कई लोग नदियों में बह गए, बीमारियों से मरे, या डोंकर्स ने उनकी हत्या कर दी।

सेक्सुअल वायलेंस: डेरियन गैप में महिलाओं के साथ बलात्कार आम है। 2023 में दिसंबर में ही 214 केस दर्ज हुए।

अपहरण और लूट: क्रिमिनल गैंग्स माइग्रेंट्स का अपहरण कर फिरौती मांगते हैं। हाल ही में ग्वाटेमाला में दो भारतीयों से 5 करोड़ रुपये मांगे गए।

डिपोर्टेशन: अमेरिका ने पिछले 4 सालों में 1,70,000 से ज्यादा भारतीयों को पकड़ा और डिपोर्ट किया।


क्यों चुनते हैं लोग यह रास्ता?

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है बेरोजगारी। भारत में नौकरियां नहीं मिल रही हैं, और स्किल डेवलपमेंट की कमी है। जहां दुनिया AI, डेटा साइंस और क्लाउड कंप्यूटिंग पर काम कर रही है, वहीं हमारे युवा पुराने ढर्रे की पढ़ाई कर रहे हैं। लोग सोचते हैं कि विदेश में पहुंचकर वे लाखों कमाएंगे, लेकिन हकीकत में वे कर्ज और मौत के जाल में फंस जाते हैं।


क्या है समाधान?

डंकी रूट पर जान गंवाने से बेहतर है कि युवा अपने देश में ही स्किल्स सीखें। उदाहरण के लिए, ओडिन स्कूल जैसे प्लेटफॉर्म डेटा साइंस, Python, और मशीन लर्निंग जैसे कोर्स ऑफर करते हैं, जिनसे नौकरी की संभावनाएं बढ़ती हैं। सरकार को भी चाहिए कि वह बेरोजगारी और शिक्षा पर ध्यान दे, ताकि युवाओं को विदेश का सपना छोड़कर अपने देश में ही मौके मिलें।


 निष्कर्ष

डंकी रूट एक ऐसा जाल है, जिसमें फंसकर लोग न सिर्फ अपनी जिंदगी बल्कि अपने परिवार का भविष्य भी बर्बाद कर देते हैं। मलकीत, रणदीप, रवि और गुरप्रीत जैसे लोग इसकी मिसाल हैं। सपनों के पीछे भागने से पहले सोचें—अपने देश से अच्छा कुछ नहीं। अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो इसे शेयर करें और अपने दोस्तों तक पहुंचाएं। नमस्कार!

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